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Showing posts from July, 2014

संशय

जाने क्यों इश्क कर बैठा जिंदगी से , वरना सिवा धोखे के इसमें रखा क्या है  | जाने क्यों रोया तमाम बचपन इस चाँद के लिए , वरना जी को ललचाने और बादलों में छुप जाने के सिवा रखा क्या है | गीली मिटटी से घरोंदे बनाने की चाहत कभी मिट नहीं पायी, वरना पहली लहर में जमींदोज हो जाने के सिवा इसमें रखा क्या है | शरारत का कोई माकूल जरिया न मिला मुझको , वरना मदरसे में ' अलिफ़ बे ते ' के सिवा रखा क्या है  | उनकी तस्वीर छुपाने की मुनासिब जगह मिल नहीं पायी, वरना किताबों में सिवा बोरियत के रखा क्या है | उनके हमकदम होने की आरजू थी इस दिल में , वरना साल दर साल इम्तहानों में रखा क्या है | नस-नस में आवारगी बस गयी है मेरे , वरना इन पथरीली राहों में खूं-गर होने के सिवा रखा क्या है | दीदार - ए-चाँद की ख्वाहिश आदत सी हो गयी है , वरना साल - दर - साल रोजा - ए - रमजान में रखा क्या है | इक तेरी हँसी से आबाद है दुनिया मेरी , वरना लाशों के इस शहर में रखा क्या है | परवानों ने तो इश्क़ ठानी है मौत से , वरना शमां में जल जाने के सिवा रखा क्या है ||