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Showing posts from June, 2017

व्हाट्स एप्प कर देना ......

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व्हाट्स एप्प कर देना ...... आज की तारीख में अभिवादन से भी ज्यादा सुनने में आने वाला जुमला | ये जुमला सिर्फ एक जुमला नही बल्कि अपने आप में एक महागाथा है | आज की भागती दौड़ती दुनिया में जहाँ किसी के पास किसी भी चीज के लिए वक़्त नही है | आदमी अपने आपको भी समय नही दे पा रहा है | कोई अगर हमें कोई कुछ बताना  भी  चाहे तो हम में से हर कोई बिना सोचे समझे बस यही कहता है कि  "भाई व्हाट्स एप्प कर देना , देख लूँगा |" इस व्हाट्स एप्प की लीला अपरम्पार है  , मसलन भाभीजी को अब सब्जी क्या बनाऊं ये जानने के लिए श्रीमान जी के दफ्तर से आने का इन्तजार नहीं करना है | व्हाट्स एप्प किया और प्रॉब्लम साल्व ...... अब जो प्रॉब्लम है वो अगली पार्टी को है | पहले फोन करके पूछने में हजार झंझट थी , जैसे पति का मूड न हो बात करने का तो कह देता था की बॉस के साथ था | पर अब तो व्हाट्स एप्प है ...बच के कहाँ  जाओगे | पहले पड़ोसन नई साड़ी लाती थी तो उसका असर हमारे यहाँ तब तक नही होता था जब तक श्रीमती जी और पड़ोसन का आमना सामना ना हो जाए | लेकिन अब ....... मॉल में डिजाईन सेलेक्ट हुआ और बिल का  ब

बरबस

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क्या कहूँ कुछ समझ नहीं आता, तुम्हे देखकर बरबस खो जाता हूँ | अतीत की लहरों को समेटने चला जब भी , खुद को यादों के समंदर में खड़ा पाता हूँ || लगती है जैसे कल की ही बात है ; वो बरगद का आँचल , वो हवाओं का तीर ; दरिया का शोर और वो पहला स्पर्श , तुम्हे अपने में समेटता और सहलाता हूँ || दिल कहता है की कुछ यादें साझा करूँ तुमसे , कुछ लिखूं और कुछ सुनाऊँ , पर कलम अटक जाती है और खुद को निःशब्द पाता हूँ || कोई जाने या ना जाने , कोई सुने या ना सुने ; इन आँखों में में वो मंजर , और इस रूह में वो यादें ; पल-पल जीता हूँ और हर पल मुस्कराता हूँ ||