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Showing posts from November, 2015

तिरंगा.....

मेरी इज्जत , मेरी शोहरत , मेरी दौलत तिरंगा है | बहे जो देश की खातिर ,लहू हर बूँद गंगा है | मेरा गौरव है तुझसे माँ , तेरा  अभिमान मुझसे है | मेरी पहचान तुझसे है , तेरा एहसान मुझपे है || वतन भी खूब देखे है , नज़ारे खूब देखे है | ध्वजाएं खूब देखी हैं , सितारे खूब देखे है || तिरंगा है अलग दिखता , कहीं भी हो खड़ा चाहे | हिमालय पर विराजे हो , भले सागर किनारे हो || बसंती रंग बलिदानी , सफेदी शांति का साखी | हरा खुशियों का परिचय है , दिवाली , ईद , वैशाखी || धर्म चक्र है शिव त्रिनेत्र सा , आत्मज्ञान के दीपक जैसा | विश्व शांति की अमर पताका , तुमसे गर्वित भारत देशा | तुमसे गर्वित भारत देशा ||

प्रतिबिम्ब

बैठा हूँ मै सामने , एक जलते हुए दिए के | ह्रदय में उठ रहा है , बस एक ही प्रश्न ? ये दिया है या मैं ही हूँ , या  है मेरा अपना ही प्रतिबिम्ब | जो जल रहा है निरंतर , कुछ कहे बिना किसी से | लपटों की लालिमा है , ह्रदय का लहू जैसे | जलती हुयी बाती , तस्वीर है विरह की | किन्तु - स्वयं को जला कर भी , ये शांत है , प्रशांत है | समेटे हुए स्वयं में , अथाह दर्द का सागर ; बिलख रहा निरंतर , ओढ़े प्रसन्नता की चादर | शायद इसी तरह से , मैं भी जल रहा हूँ ; सुकून की तलाश में , दर-दर भटक रहा हूँ सुकून की तलाश में , दर-दर भटक रहा हूँ ||

प्रियल

बड़ी खूबसूरत है ये कहानी    जब पायी हमने प्रेम निशानी | वो सुबह थी कुछ ख़ास कुछ अलग सा था एहसास , बिल्कुल नहीं थी ये आस इतनी जल्दी वो आयेगी पास ||  हाथों में लेकर हाथ चल पड़े हम साथ- साथ , वो अनुभव बड़ा निराला था     वो समय बड़ा ही नाजूक था || प्रियतम की हालत देख -२ कर  ह्रदय बड़ा ही भावुक था  || बढती प्रसव वेदना के संग  रुदन भी बढता जाय     || बेचैनी  की हालत में वो , इधर जाय या उधर जाय || बढ़ते -२ कदम बढ़ चले , जीवन के उस क्षण की ओर || नन्हीं परी के आने से , जीवन में फिर हुयी है भोर || वो  भी  खुश थी  , हम भी खुश थे || किरन फैल गयी चंहु ओर , जब पहली बार उसे देखा तो , चित को चुरा गयी चित चोर || और अथाह ख़ुशी से , दिल का नाच उठा मयूर     ||