पहली बार
है आज भी याद वो दिन मुझको , जब पहली बार तुझे देखा | गाल गुलाबी , चंचल चितवन , और अधरों की पतली रेखा || केसर मिली दूध सी रंगत , नव तरुणी की अल्हड़ काया | कमर कमानी , नजरें तिरछी , मंद - मंद मुस्कान की माया || लाल दुपट्टा चुनर पीली , रहती हरदम छैल - छबीली | ठहरे कदम पलट कर देखा , लेकिन कुछ मुँह से ना बोली || केश राशि थी निपट अमावस , धवल दंत थे सोम सरीखे | सुर्ख हिना से सजी हथेली , कोई रूप सजाना तुमसे सीखे || बहुत पुरानी बात है ये , एक लम्बा अरसा बीत गया | यादों के उन धागों से , मैं सपने बुनना सीख गया ; मैं सपने बुनना सीख गया ||