गुलाबो
१
वो आँखे ,वो
पलकें
वो काली सी जुल्फे ||
तुम्हारा वो चेहरा ,
तुम्हारी वो रंगत ||
खयालो में आकर ,
ये कहते हैं अक्सर ||
खुदा ने तुमको बनाने से पहले ,
सादगी को मन से सजाने की सोची ||
२
हसीन तो बहुत सी हैं ,
इस जहान में
गुलाबों ||
पर तुम जैसी ताजगी ,
उनमें कहाँ हैं ||
राहे अँधेरी और दुनिया वीरान ,
दिल में छुपी बेवफ़ाई की पूँजी
||
खुशबू थी जैसे हवाओं में उस दिन ,
जब उनकी आवाज़ मेरे
कानों में गूंजी ||
शिकवे तमाम उम्र के
पल भर में मिट गये ||
मैं मेरी दुनिया औ पहिया समय का
जो भी जहाँ थे वही थम गये ||
३
हर पल हर दिन ,
हर क्षण हर
घड़ी ||
स्नेह की
मिठास लेकर,
आठ प्रहर मेरे
साथ खड़ी
||
आइना भी तुझसे है कहता गुलाबो
जो दिखता है सबको , है तू उस कद से बड़ी
||
आखरी लफ्ज में इतना कहूँगा की -
सूरत भी है और सीरत भी है ,
तेरी कर्मो से मेरे घर की कीरत भी है
||
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