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Showing posts from September, 2015

ख़्वाब

इक हसीन ख़्वाब को हकीकत बनते देखा मैंने , तेरी हँसी को अपनी मिल्कियत होते देखा मैंने ! तेरी मोहब्बत से बड़ा ख़्वाब न था दूसरा कोई , इसे अपनी साँसों में बसते और महकते देखा मैंने !! कभी - इक तेरे दीदार की मन्नतें मांगी थी रात - दिन हमने , अब तो हर पल रूबरू तुझे ही पाया हमने ! कल तो एक गुलाब तक नवाज न पाया जिसको , सारे गुलशन को उसके कदमों तले बिछाया हमने  !! हर जवां मर मिटा था जिन  गेसुओं की खमों पे कभी, आज जी भर के उन्हें सहलाया और सुलझाया हमने ! कभी जिन आँखों ने सिखलाया फ़लसफ़ा - ए - मोहब्बत , अब उन्हें ही जिंदगी की किताब बनाया हमने !! इक तुझे ही दिल में बसाने की ख्वाहिश थी हमारी , अब तो साँस दर साँस तुझे साथ पाया हमने ! आज सबको छोड़कर मुझमें सिमटते देखा तुझको , हर वक़्त नसीब पर रश्क़ होता मुझको !! बेमिशाल हुस्न की मिल्कियत पायी हमने - बेपनाह मोहब्बत तुझपे लुटाई हमने ! इक हसीन ख़्वाब को हकीक़त बनते देखा हमने , तेरी हँसी को अपनी मिल्कियत होते देखा हमने !!!

मोहब्बत .........

मोहब्बत तमाम उम्र मोहब्बत  की सीढ़ियाँ नापी हमनें , जिस कदम उनसे मिले वो पायदान आखरी हो गया | पहली मोहब्बत बनकर ताउम्र याद आना , या शरीक-ए - हयात होकर क़यामत के पार जाना | हर दिल , हर शख्श की अपनी ही कैफ़ियत है , कुछ को है साथ आना , कुछ को है याद आना | हुस्न की फितरतों से अच्छे से है वाकिफ़ , मोहब्बत के बाज़ार का तज़ुर्बा है पुराना | जहां - खुलते हैं दिल के दरवाज़े सिक्कों के शोर से , बदला जाता है अशर्फ़ियों से मोहब्बतों का खज़ाना | ज़ीभर के रोए हम भी तमाम दौलत लुटाकर , इस शहर में बेदौलत का न कोई पता न ठिकाना |