ख़्वाब
इक हसीन ख़्वाब को हकीकत बनते देखा मैंने , तेरी हँसी को अपनी मिल्कियत होते देखा मैंने ! तेरी मोहब्बत से बड़ा ख़्वाब न था दूसरा कोई , इसे अपनी साँसों में बसते और महकते देखा मैंने !! कभी - इक तेरे दीदार की मन्नतें मांगी थी रात - दिन हमने , अब तो हर पल रूबरू तुझे ही पाया हमने ! कल तो एक गुलाब तक नवाज न पाया जिसको , सारे गुलशन को उसके कदमों तले बिछाया हमने !! हर जवां मर मिटा था जिन गेसुओं की खमों पे कभी, आज जी भर के उन्हें सहलाया और सुलझाया हमने ! कभी जिन आँखों ने सिखलाया फ़लसफ़ा - ए - मोहब्बत , अब उन्हें ही जिंदगी की किताब बनाया हमने !! इक तुझे ही दिल में बसाने की ख्वाहिश थी हमारी , अब तो साँस दर साँस तुझे साथ पाया हमने ! आज सबको छोड़कर मुझमें सिमटते देखा तुझको , हर वक़्त नसीब पर रश्क़ होता मुझको !! बेमिशाल हुस्न की मिल्कियत पायी हमने - बेपनाह मोहब्बत तुझपे लुटाई हमने ! इक हसीन ख़्वाब को हकीक़त बनते देखा हमने , तेरी हँसी को अपनी मिल्कियत होते देखा हमने !!!