प्रियल
बड़ी खूबसूरत है ये कहानी
जब पायी हमने प्रेम निशानी |
वो
सुबह थी कुछ ख़ास
कुछ अलग सा था एहसास ,
बिल्कुल नहीं
थी ये आस
इतनी जल्दी वो आयेगी पास ||
हाथों में
लेकर हाथ
चल पड़े हम साथ- साथ ,
वो
अनुभव बड़ा निराला था
वो समय बड़ा ही नाजूक था ||
प्रियतम
की हालत देख -२ कर
ह्रदय बड़ा ही भावुक था ||
बढती
प्रसव वेदना के संग
रुदन भी बढता जाय ||
बेचैनी की हालत में वो ,
इधर जाय या उधर जाय ||
बढ़ते
-२ कदम बढ़ चले ,
जीवन के उस क्षण की ओर ||
नन्हीं
परी के आने से ,
जीवन में फिर हुयी है भोर ||
वो
भी खुश
थी ,
हम भी खुश थे ||
किरन
फैल गयी चंहु ओर ,
जब
पहली बार उसे देखा तो ,
चित को चुरा गयी चित चोर ||
और
अथाह ख़ुशी से ,
दिल का नाच उठा मयूर ||
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