चिरौरी



चिरौरी




चिरौरी करती थी माँ कुछ रोज पहले,
दो निवाले तो खा भूख लगने से पहले ।
टकटकी लगाए निहारती थी मुँह मेरा,
परोस देती थी छप्पन भोग मेरे कहने से पहले।।


कुछ खाया, कुछ गिराया,
नई मिठाई के लिए मुँह फुलाया।
पिता ने आँख दिखाई ,
माँ ने आँचल में छुपाया।।

और...
सब नियामतें,सारी खुशियां काफ़ूर हो गयीं,
इस बारिश में मेरी "माँ ",मुझसे दूर हो गयी...


मखमल से पोछती थी मुझे,
छींक आने से पहले।
आज सारी रात भीगा हूँ,
भीख पाने से पहले।।

मेरी माँ के सिवा मुझे,
किसी ने बिना कपडों के नहीं देखा।
बड़े जतन से छुपाया है खुद को ,
कैमरों को नज़र आने से पहले।।

और...
सब नियामतें,सारी खुशियां काफ़ूर हो गयीं,
इस बारिश में मेरी "माँ ",मुझसे दूर हो गयी...


वो बूंदे , वो बारिश,
वो कीचड़ ,वो छपछप।
वो कागज की किश्ती,
वो खेल,वो गपशप।।

तुम तो मेरे दोस्त हुआ करते थे,
मुट्ठी खुली मेरी,तो हथेली में गिरा करते थे।
इस बार क्या हुआ, यूँ नाराज हो गए,
तुम जी भर बरसे , और हम बर्बाद हो गए।।

और...
सब नियामतें,सारी खुशियां काफ़ूर हो गयीं,
इस बारिश में मेरी "माँ ",मुझसे दूर हो गयी...
मेरी "माँ" मुझसे दूर हो गयी..

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