व्हाट्स एप्प कर देना ......
व्हाट्स एप्प कर देना ......
आज की तारीख में अभिवादन से भी ज्यादा सुनने में आने वाला जुमला |
ये जुमला सिर्फ एक जुमला नही बल्कि अपने आप में एक महागाथा है | आज की भागती दौड़ती दुनिया में जहाँ किसी के पास किसी भी चीज के लिए वक़्त नही है | आदमी अपने आपको भी समय नही दे पा रहा है | कोई अगर हमें कोई कुछ बताना भी चाहे तो हम में से हर कोई बिना सोचे समझे बस यही कहता है कि "भाई व्हाट्स एप्प कर देना , देख लूँगा |"
इस व्हाट्स एप्प की लीला अपरम्पार है , मसलन भाभीजी को अब सब्जी क्या बनाऊं ये जानने के लिए श्रीमान जी के दफ्तर से आने का इन्तजार नहीं करना है | व्हाट्स एप्प किया और प्रॉब्लम साल्व ...... अब जो प्रॉब्लम है वो अगली पार्टी को है | पहले फोन करके पूछने में हजार झंझट थी , जैसे पति का मूड न हो बात करने का तो कह देता था की बॉस के साथ था | पर अब तो व्हाट्स एप्प है ...बच के कहाँ जाओगे |
पहले पड़ोसन नई साड़ी लाती थी तो उसका असर हमारे यहाँ तब तक नही होता था जब तक श्रीमती जी और पड़ोसन का आमना सामना ना हो जाए | लेकिन अब .......
मॉल में डिजाईन सेलेक्ट हुआ और बिल का बम पडोसी के सर पे शायद बाद में गिरता होगा , लेकिन उलाहनों और रूठने का हाइड्रोजन बम वाया व्हाट्स एप्प हमारी श्रीमती जी हम पे जरूर दाग देती हैं |
सबसे ज्यादा दुखी तो इन गहने वालों ने कर रखा है | हर हफ्ते मजाक है जो कम से कम १० -१५ डिजाईन फोटो ना चिपका देते हो श्रीमती जी के नंबर पे | और नीचे इतना जरूर लिखा होगा -
मैडम पहला मैसेज आप ही को भेजा है .........
इतना पढ़ते ही श्रीमती जी के चेहरे पे जो असीम आनंद की छाया दिखाई देती है की बस दिल करता है की काश मैं भी मनुष्य ना होकर कोई नेकलेस या झुमका ही होता | और फिर जब श्रीमती जी हमारी तरफ देखती हैं और मैं बिलकुल भोला सा मुँह बना कर ऐसे देखता हूँ जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं है , तो फिर ........ पूर्णिमा की चांदनी अचानक अमावस में बदल जाती है , और मैं सोचता हूँ की अगर ये स्मार्ट फोन ही ना होता तो कितना अच्छा होता , और अगर है भी तो काश ये जानलेवा व्हाट्स एप्प ही ना होता |
सच कह रहा हूँ भाई जितनी आग इस कमबख्त व्हाट्स एप्प ने लगाई है मेरे जीवन में उतनी तो ससुरी बीवी के मुँह से दिन रात होने वाली उसके बड़े जीजा के बखान ने भी नहीं लगाई है |
कुछ चीजो का संतोष फिर भी मन में है | कि , हे भगवान् , अभी तक कम से कम बीवी उसी तरह चाय पानी या खाने के लिए पूछ लेती है जैसे इस कलमुहे व्हाट्स एप्प के आने से पहले पूछा करती थी | पर लगता है की बदलाव जल्द ही आएगा | क्योंकि कुछ समय से गुड नाईट अब व्हाट्स एप्प बाबा के सुदर्शन मुख में ही देखने और सुनने को मिलता है |
बस ....
इससे ज्यादा दुःख बयान करने की हिम्मत नहीं हो रही है | लेकिन लक्षण यही कहते हैं कि ये तो बस शुरुआत है |मिर्ज़ा ग़ालिब ने यूँ ही तो नहीं कहा कि -
देख पाते उश्शाक ,फैज क्या बुतों से ;इक बिरहमन ने कहा कि ये साल अच्छा है |हमें तो मालुम है जन्नत की हकीकत लेकिन ,दिल को खुश रखने को ग़ालिब ख्याल अच्छा है ||
Comments
Post a Comment