संशय
जाने क्यों इश्क कर बैठा जिंदगी से ,
वरना सिवा धोखे के इसमें रखा क्या है |
जाने क्यों रोया तमाम बचपन इस चाँद के लिए ,
वरना जी को
ललचाने और बादलों में छुप जाने के सिवा रखा क्या है |
गीली मिटटी से घरोंदे बनाने की चाहत कभी मिट नहीं पायी,
वरना
पहली लहर में जमींदोज हो जाने के सिवा इसमें रखा क्या है |
शरारत का कोई माकूल जरिया न मिला मुझको ,
वरना
मदरसे में ' अलिफ़ बे ते ' के सिवा रखा क्या है |
उनकी तस्वीर छुपाने की मुनासिब जगह मिल नहीं पायी,
वरना किताबों में सिवा बोरियत के रखा क्या है |
उनके हमकदम होने की आरजू थी इस दिल में ,
वरना साल दर
साल इम्तहानों में रखा क्या है |
नस-नस में आवारगी बस गयी है मेरे ,
वरना इन
पथरीली राहों में खूं-गर होने के सिवा रखा क्या है |
दीदार-ए-चाँद की ख्वाहिश
आदत सी हो गयी है ,
वरना साल-दर-साल रोजा-ए-रमजान में रखा क्या है |
इक तेरी हँसी से आबाद है दुनिया मेरी,
वरना लाशों के इस शहर में रखा क्या है |
परवानों ने तो इश्क़ ठानी है मौत से ,
वरना शमां में जल जाने के सिवा रखा क्या है ||
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