सुबह की चाय




J


सुबह की चाय सिर्फ एक चाय तो नही ........

शुरुआत है एक नये दिन की .
          नये सपनो की ,
              नई मंजिलों की ..... |

J

अगर हैं अकेले , तो सपने ज्यादा हसीन होते हैं,
सपनों के हर मोती को आशा के धागे से पिरोते हैं |
बनते हैं , बिगड़ते हैं, टूट कर बिखरते हैं,
   बिखरने के बाद फिर - फिर से जुड़ते हैं ||


ये सिलसिला जिंदगी में ,
 बार - बार आता है|
          पर हर बार ये शुरुआत,
एक प्याला चाय ही करवाता है ||

J
महबूब के हाथ चाय की ,
बात ही कुछ और है,
वो प्याली की गर्माहट ,
       और हाथों की नरमाहट,
इसे घूट-घूट पीना ,
  उसे लमहा-लमहा जीना,
क्या कहू हजरात कि,
वो बात ही कुछ और है ||

J

वो चंद घूट जिंदगी की चाहत बन जाते हैं -
क्योंकि -
       सुबह की चाय सिर्फ एक चाय तो नही ...........





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